

प्रयागराज में महाकुंभ के समापन के बाद उसकी उपलब्धियों की चर्चा का दौर है. उत्तर प्रदेश के विधानसभा के बजट सत्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ की जिस सक्सेस स्टोरी को सदन के सामने रखा उसने सबको हैरत में डाल दिया. प्रयागराज के मल्लाह पिंटू महरा के परिवार ने महाकुंभ में 45 दिनों तक नाव चलाकर 30 करोड़ रुपये की कमाई की. इससे त्रिवेणी के किनारे स्थित गांव अरैल के रहने वाले पिंटू महरा के पूरे परिवार की जिंदगी बदल गई. पिंटू महरा का कहना है कि उसने महाकुंभ के पहले 70 नावें खरीद डालीं. जिसके लिए उसे घर की महिलाओं के जेवर बेचने पड़े, जमीन गिरवी रखने की नौबत आ गई, लेकिन जब महाकुंभ खत्म हुआ तो किस्मत बदल गई. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि प्रयागराज या देश के अन्य किसी शहर में नाव चलाने के लिए किस प्रक्रिया से गुजरना होता है.
प्रयागराज में संगम पर नाव चलाने के लिए अनुमति प्राप्त करने की प्रक्रिया स्थानीय प्रशासन और नियमों पर निर्भर करती है. सामान्य तौर पर, संगम जैसे पवित्र और व्यस्त क्षेत्र में नाव संचालन के लिए सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से कुछ औपचारिकताएं पूरी करनी होती हैं. ये केवल प्रयागराज नहीं, बल्कि देश के किसी भी शहर के लिए इसी तरह की प्रक्रिया है. इनलैंड वेसल्स एक्ट, 1917 (संशोधित 2021) भारत में नदियों और अंतर्देशीय जलमार्गों पर नाव संचालन को नियंत्रित करने वाला मुख्य कानून है. इसके तहत नावों का पंजीकरण, लाइसेंसिंग, और सुरक्षा मानकों का पालन अनिवार्य है. चूंकि जल परिवहन राज्य सूची का विषय है, प्रत्येक राज्य अपने स्थानीय नियम बनाता है. उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश, बिहार, या पश्चिम बंगाल जैसे नदी-प्रधान राज्यों में अलग-अलग प्रावधान हो सकते हैं.